श्री गुरू अमर दास जी का जन्म पिता तेज भान ओर माता सुलखणी जी के घर वैशाख सुदी १४ संवत १५३६ को गाँव बासरके परगना झबाल में हुआ।
बहुत देर तक गुरू साहिब गंगा दर्शन के लिए जाते रहे । जब गुरू साहिब ने बीबी अमरॊ जी से श्री गुरू नानक देव जी की वाणी सुनी तो श्री गुरू अमर दास जी ने बीबी अमरॊ जी से श्री गुरू नानक देव जी के बारे में पूछा । उस समय श्री गुरू अंगद देव जी गुरू-गद्दी पर विराजमान थे । श्री गुरू अमर दास जी ने खडुर साहिब में रहकर १२ साल तक श्री गुरु अंगद देव जी की सेवा की । गुरू अमर दास जी हर रोज़ गोइंदवाल साहिब से पैदल चलकर श्री गुरू अंगद देव जी के इशनान के लिए ब्यास नदी से पानी लेकर आते थे ।
बहुत देर तक गुरू साहिब गंगा दर्शन के लिए जाते रहे । जब गुरू साहिब ने बीबी अमरॊ जी से श्री गुरू नानक देव जी की वाणी सुनी तो श्री गुरू अमर दास जी ने बीबी अमरॊ जी से श्री गुरू नानक देव जी के बारे में पूछा । उस समय श्री गुरू अंगद देव जी गुरू-गद्दी पर विराजमान थे । श्री गुरू अमर दास जी ने खडुर साहिब में रहकर १२ साल तक श्री गुरु अंगद देव जी की सेवा की । गुरू अमर दास जी हर रोज़ गोइंदवाल साहिब से पैदल चलकर श्री गुरू अंगद देव जी के इशनान के लिए ब्यास नदी से पानी लेकर आते थे ।
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